हॉकी के भगवान माने जाते हैं मेजर ध्यानचंद. बोला जाता है कि अगर मेजर ध्यानचंद नही होते तो भारत मे हॉकी का नामो निशान नही होता क्योंकि मेजर ध्यानचंद ने अपने समय मे भारत को हॉकी में बहुत सारे मैडल दिलाए है. बोला जाता है कि भारत को जितने मैडल मजार ध्यानचंद ने दिलाए है उतने पूरी दुनिया मे किसी भी खिलाड़ी ने अपने देश को नही दिलाए है. मेजर ध्यानचंद को हॉकी भगवान माना जाता है. ध्यानचंद जी को मेजर इसलिए बोला जाता है क्योंकि वह भारतीय सेना में थे. और सेना की तरफ से ही देश को बहुत सारे मैडल जिताए है.
अंतिम समय मे बोल दी देशवासियों के लिए ऐसी बात
मेजर ध्यानचंद ने अपने अंतिम समय में देहवासियो के लिए ऐसे कठोर शब्द बोले थे. ध्यानचंद जी ने अपने अंतिम समय मे बोला था की अगर में दिहान्त हो भी जाए तो पूरे भारत मे किसी को भी फर्क नही पड़ेगा ओर ना ही कोई ऐसा होगा जिसकी आखो में आँसू भी आएंगे. ध्यानचंद जी की इसी बात को सुनकर रिपोर्टर सोच में पड़ गया ओर पूछने लगा कि आप ऐसा क्यों बोल रहे हो.
जवाब में ध्यानचंद जी ने रिपोर्टर को बोला कि ” जब से मैन हॉकी से सन्यास लिया उसके बाद से भारत का हॉकी का स्तर बहुत ही ज्यादा नीचे गिर गया है क्योंकि जो भी टीम में आता है वह सिर्फ खाता ही रहता है. किसी मे मैडल जीतने का जनून नही है. ध्यानचंद जी ने यह भी बोला कि आने वाले कुछ समय मे भारत के अंदर हॉकी बिल्कुल खत्म हो जाएगा.” मेजर ध्यानचंद की बात बिल्कुल सच निकली भारत के लिए आखरी मैडल मैडल मेजर ध्यानचंद ने ही जीता था.
कुछ इस तरह निकली थी मेजर ध्यानचंद की अंतिम यात्रा
मेजर ध्यानचंद के दिहान्त के बाद उनकी अंतिम यात्रा ने 1 लाख से भी ज्यादा लोग थे. पुलिस ने लोगो को रोकने की बहुत कोशिश की लेकिन रोक नही पाई. मेजर ध्यान चंद का अंतिम संस्कार हॉकी के ग्राउंड में हुआ था.
लेकिन हालहि में हुए टोक्यो ओलिंपिक में भारत ने भी मैडल जीता है. आपको बता दे इस साल भारत की महिला हॉकी टीम ओर पुरुष हॉकी टीम दोनो ने ओलिम्पिक में मैडल जीता है. इस साल हुए टोक्यो ओलिंपिक में भारत ने बहुत सारे मैडल जीते हैं.हालहि में भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने भारत के सबसे बड़े खेल पदक राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार रख दिया.